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Life Lesson

बच्चों को दें सफलता के सात सूत्र

मनुष्य जीवन की सबसे मूल्यवान चीज है सफलता हम जानते है की हमने अपने जीवन में क्या किया और क्या नहीं किया| पर जो हम अपने जीवन के कुशल आयोजन के अर्थ को नहीं समझ  पायेंगें तो हम अपने बच्चो को कैसे समझा  पायेंगें के जीवन में क्या जरुरी है| यहाँ हम जीवन में आगे बढ़ने के लिये सफलता के 7 Essential Life Lesson for Child आपके समक्ष रख रहें है|
प्रत्येक व्यक्ति की यह स्वाभाविक प्रकृति है की वह जीवन में सफलता की उच्चतम ऊँचाइयों को छूना चाहता है| उसकी यह नैसर्गिक आंकाक्षा होती है के उसे मनचाही चीज मिलें, मनचाहाँ पद मिलें, मनचाहा मान – सन्मान मिलें| पर ऐसे बहुत ही कम लोग होते है की जिसकी अधिकांश कामनाओ की पूर्ति सम्भव हो जाये|
बच्चों की सफलता बहुत सारी बातों पर निर्भर करती है| आज का युग प्रतिस्पर्धात्मक युग है| जहाँ आगे बढ़ने के लिये बच्चों का अनेक प्रकार के दबाव एवं संघर्ष बाधक बनते हैं| फिर भी जो माता – पिता चाहे तो कुछ बातों का ध्यान रखकर कुछ हद तक बच्चों को सफलता दिला सकते है|
हमें जीवन में आगे बढ़ने लिये हमारा उद्रेश्य, लक्ष्य और जिद सी होनी चाहिये| जिसे हम अपने बच्चों तक उनके मन तक पहुँच सके| बच्चों के लिये ऐसा कुछ भी नहीं है की वह अपने आप कर लें| हम उन्हें डांटते है, मारते हैं या किसी दूसरें का उदहारण देंते हैं| पर प्रत्येक माता – पिता को ध्यान रखना जरुरी हैं की जब तक हम उसें अमल में नहीं रखेगें तब तक बच्चा कुछ भी नहीं करेंगा| तो आइये हम आपको आपके बच्चे की सफलता के ये सात सूत्र कौन कौन  से हैं वो बता रहें हैं :-

  1. आत्मविश्वासी बनाना
  2. पुरुषार्थ करना
  3. मन को एकाग्र करना
  4. स्वयं की दूसरों से तुलना न करना
  5. हमेंशा अपना लक्ष्य ऊँचा रखना
  6. इश्वर पर भरोसा करना
  7. सेवा को जीवन का उद्रेश्य बनाना

अब हम क्रमश: इसके विषय में आपको जाकारी देगें

  1. आत्मविश्वासी बनाना :-   Confidence

किसी भी कार्य में सफलता के लिये प्रथम ओंर महत्व सूत्र है  “ बच्चे का आत्मविशवास  ” हम देखते हें कीं हम किसी कार्य को करने में सक्षम होते हैं, पर हमें या तो अपनी क्षमता पर या अपने बच्चे की क्षमता पर विशवास नहीं होता| परिणाम स्वरूप हम असफल् हो जाते हैं| आत्मविशवास के लिए जरुरी है संबद्ध कार्य के लिये पूरी तैयारी और द्रढ़ इच्छा शक्ति| किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिये हम जरुरत से ज्यादा चिंता करते हैं और मन में आशंका रखते जो हमें विफलता की और धकेल देता है | यही कारण है की हम अपने लक्ष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयारी नहीं कर पातें
उदहारण के रूप में –  एक बार एक प्रतिभाशाली छात्र परीक्षा में फैल हो गया| वह दु:खी और निराश था| जब उससे गुरु ने इसका कारण पूछा  तो उसने बताया की परीक्षा के समय वह परिणाम के प्रति इतना चिन्तित था की वह प्रश्न – पत्र में दिए निर्देश को ठीक से नहीं पढ़ पाया था| कहने का तात्पर्य यह हैं की बहुत अधिक होशियार बच्चा भी आशंकित होकर सफल नहीं हो पता| अत: आत्मविश्वाश जरुरी है

  1. पुरुषार्थ करना :- Effort

जीवन में सफलता का होना दूसरा सूत्र है| पुरुषार्थ हमें अपने बच्चे को हमेशा पुरुषार्थ अर्थात उनके किसी भी काम के लिये महेनत का आग्रह रखने का कहना जरुरी है| क्योंकि भाग्य और पुरुषार्थ जीवन के दो चोर है| एक वर्तमान है तो दूसरा अतीत| भाग्य के पास संचित कर्मो की विपुल पूजा है| संस्कारो की अखुट राशि  है,  जबकि पुरुषार्थ के पास अपना कहने के लिये केवल एक पल है| जो अपना होते हुए भी अगली ही पल भाग्य को कोष में जा गिरेगा| भाग्य के व्यापक आकर को देखकर सामान्य व्यक्ति ही नहीं विशेषज्ञ और वरिष्ठजन भी भाग्य के बलशाली होने की गवाही देने लगते है| इसमें बुद्धि के तर्क, ज्योतिष की गणना, ग्रह – नक्षत्र सभी भाग्य के पक्ष में खड़ा दिखाई देते है फिर भी पुरुषार्थ की महिमा कम नहीं होती| इसीलिये हमें भाग्य की शक्ति को एक सीमा तक स्वीकार कर पुरुषार्थ की शक्ति को पहचानना चाहिये क्योंकि पुरुषार्थ की प्रक्रिया यदि निरंतर एवं अनवरत जारी रही तो हमें जिस काम के लिए हम सोच रहें है उसमे सफलता को कोई रोंक नहीं सकता| तभी तो ऋषि वाणी  कहतीं है| “ मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है इसीलिये हर माता – पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को पुरुषार्थ अर्थात महेनत करने का आग्रह रखे|

  1. मन को एकाग्र करना :-  Concentration of mind

बच्चों के लिये जीवन में सफल होने के लिये ये तीसरा सूत्र है – मन की एकग्रता का होना| हम अपने बच्चो को लड़कर पढ़ने को बैठा देते है पर वह मन से एकाग्र होकर नहीं पढेगे तो पढ़ने बैठन  व्यर्थ है| क्योंकि एकाग्रता हमें लक्ष्य-प्राप्ति के प्रति आबद्ध करती ही है| हमारा काम भी आसन कर देती है| हमें अपने बच्चो को ऐसी वस्तुओं एवं परिस्थितियों से बचाना चाहिए जो लक्ष्य के प्रति हमारी एकाग्रता को भंग करे| इसका अर्थ कतिपय यह भी नहीं है कि हम निरंतर प्रयास के मध्य में रहकर अपने बच्चे को आवश्यक विराम और विश्राम न कर ने दे| विधार्थी और परिक्षार्थ के लिये खेलना, सिनेमा देखना, एवं टीवी देखना एकाग्रता को कम करता हैं| अत: जहाँ तक हो सकें बच्चो को इन सब का कम उपयोग करने दे,और यह सब हम परिवार के सहयोग से कर सकते है|

  1. स्वयं की दूसरों से तुलना न करना :- Do not compare yourself to others

बच्चो के लिये life में सफलता का चोथा सूत्र है वह अपनी बराबरी किसी और से न करे| चाहे वह घर का सदस्य हो या मित्रमंडल क्योंकि प्रकृति ने सबको एक जैसा नहीं बनाया है| अपनी अपनी क्षमताओ के साथ ही हर किसी में कोई न कोई कमी तो रहेती ही है| जब हम अपनी तुलना दूसरों से करते है तो इर्षा की वृति सहज ही उत्पन्न हो जाती है| इससे हमारा सारा कीमती समय एवं उर्जा व्यर्थ की चिंताओ में नष्ट हो जाता है| इसीलिये माता – पिता को चाहिये की वह अपने बच्चों में परस्पर संबंधो में कटुता उत्पन्न न हों| और उनका बच्चा इर्षा  के कारण कभी अपने को अन्य से बेहतर और कभी कमजोर समझकर अस्थिर मनोदशा से पीड़ित न हों| स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बुरी नहीं है लेकिन जब इसमें इर्षा का भाव आता है तब बच्चे अपने लक्षय से विमुख हो जाते है| अत: हमें अपने बाच्चे का पूरा ध्यान उनकी क्षमता का विकास करने पर ही केन्द्रित करना चाहिये |

  1. हमेंशा अपना लक्ष्य ऊँचा रखना :- Keep the goal high

माता – पिता और बच्चे के लिए जीवन में सफल होने के लिये पाँचवा सूत्र है अपना लक्ष्य हमेंशा ऊँचा रखे| अपने शोच हमेंशा ऊँची रखे| परिस्थिति से घबराने के वजाय लक्ष्य सिद्धि  को एक मात्र जीवन मन्त्र बनाये| अक्सर हम देखते हैं की कोई बच्चा इंजिनियर बनना चाहता है तो कोई डॉक्टर , तो कोई टीचर| परन्तु  एक बात हमेशा ध्यान में रहनी चाहिये की हमारा लक्ष्य क्या है ताकि हम बेहतर प्रदर्शन के लिये सतत प्रयास करते रहें| यदि कभी किन्हीं कारणो से परिणाम मन के अनुकूल न भी मिले तो कम से कम हमें यह संतोष रहेगा| की हमने अपने ऊँचे लक्ष्य के लिये प्रयास तो किया| हमारी द्रष्टि सदैव सबकी  सार्थक सेवा करने के ध्येय पर होनी चाहिये| यह बात माता – पिता को अपने बच्चे को सदैव समजाते रहेना चाहिये|

  1. इश्वर पर भरोसा करना :- Trusting in God

माता – पिता को चाहिए की अपने बच्चे को इश्वर के अस्तित्व के बारे में बताना चाहिये| हम सब जानते हैं की हमने किसी ने भी इश्वर को नहीं देखा है परन्तु उनकी  भक्ति हम जरुर करते हैं| यह जरुरी नहीं है की हम सदैव अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हों| हमें कई बार अथक प्रयास के बावजूद भी असफलता देखनी पड़ती है| इसका अर्थ यह नहीं हैं किं हम निराश हो जाये और दु:खी हो जाये| महापुरुषो का कथन है कि प्रत्येक असफलता हमारी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं| बहुत बार ऐसा होता है की हम जो बनना चाहते है वह न बनकर दुसरे क्षेत्र में आगे बढ़ जाते हैं| जैसे की अमेरिका के महान  वैज्ञानिक  थॉमस अल्वा एडिसन अध्यापन के क्षेत्र में अग्रेसर थे| परन्तु भरपूर प्रयास करने के बावजूद उनकी माता उन्हें अधिक पढ़ा – लिखा नहीं सकी| सब्जी बेचने वाला वह बालक दुनिया का महान  वैज्ञानिक बन जायेगा किसी ने सोचा भी न था| बल्ब का अविष्कार इसी एडिसन ने ही किया था| व्यक्ति को इश्वर की कल्याणकारी स्वरूप एवं न्यायप्रियता के लिये अटूट विश्वास रखना चाहिये| जो बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाये और इश्वर की भक्ति पर पूर्ण विश्वास रखे तो वह जीवन में जरुर सफल होगा| माता – पिता जो चाहे तो अपने बच्चे की योग्य क्षमता को देखकर उसें आशा के साथ इश्वर पर भरोसा करना सिखायेंगें तो वह कभी जीवन में असफल नहीं होगा|

  1. सेवा को जीवन का उद्रेशय बनाना :- Making service the purpose of life

जीवन में सफलता का सातवाँ  सूत्र है – सेवा की भावना| हर माता – पिता को चाहिये किं वह अपने बच्चे को बचपन से ही सेवा की भावना मन में डाले जैसे कि दादा – दादी के प्रति मान का भाव माता – पिता बड़ों के प्रति सम्मान की भावना| केवल धन को ध्यान में रखकर जीवन को ढालना योग्य नहीं हैं| धन तो कुशलता पूर्वक किये गये कार्य का एक स्वाभाविक उपफुल है| हमारा कार्य का वास्तविक उद्देश्य  है सेवा के द्वारा अपने अंदर सुख – शांति का अनुभव करना| उदहारण के रूप में यदि कोई बच्चा बड़ा होकर सिविल इंजिनियर बनना चाहता है तो उसका उद्देश्य होना चाहिये की भवन, पुल, वगेरे सर्वोत्तम कैसे बना सकते है उसके लिये सोचे| कोई बच्चा वकील बनना चाहता है तो निश्चित करे की पूरी सफलता के साथ न्याय प्रक्रिया में सहयोग  करेगा| डॉक्टर बनना चाहता है तो रोगों को निरोगता प्रदान करने का आदर्श सम्मुख रखना चाहिये| जो शिक्षक बनना चाहता है तो बच्चों को संपूर्ण और उत्तम ज्ञान दें| यहाँ हम ये सब इसीलिये बता रहें है किं जब हम अपने सामने सेवा का उत्कृष्ट लक्ष्य रखेगें तभी  मूल्यों के साथ समझोता करने का कोई कारण नहीं होगा|जब हम अधिक धन इकठा करने को सोचेगे तो हम अपनी सेवाकार्य जिम्मेदारी नहीं समझ  सकेंगें|
इस प्रकार यहाँ हमने माता – पिता के कर्तव्यो को सामने रखकर आपके कोमल बच्चो के मन में जीवन को सफलता के ये 7 Essential Life Lesson समजायेंगें तो आपका बच्चा अपनी जिम्मेदारी समझ  कर अपने कार्यो को सुंदर ढंग से कर सकेगा| और आपको इसका  सीधा लाभ होगा आपके मन को शांति और संतोष प्राप्त होगा इस प्रकार से | जीवन को किसी महान उद्रेशय के लिये समर्पित कर देना  ही आनंद है|

Dr. Karuna Trivedi
आप को अपने बच्चें के स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या हो तो आप हमे निचे दिए गए E – Mail पर संपर्क कर सकते है  | हमारे अनुभवी Doctor आप के बच्चे की समस्या का योग्य निदान करेंगे  |
E – Mail : hello@crazykids.in

Comments

  • Heer Trivedi
    August 26, 2020

    Very nice blog 👍

    Reply
  • Premila
    October 5, 2020

    एक दम सही बात है

    Reply

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