
बच्चों को रसोई के मसलों का महत्व बताए
हमारी भारतीय परंपरागत रसोई मे अनेक प्रकार के मसाले Spices देखे जा सकते है। जीनका रोज रसोई मे नियमीत उपयोग होता है। रसोइमे मसाले Spices सिर्फ स्वाद के हेतु से ही नाही परंतु औषधीय गुण भी रखाते है , जीनके उपयोग से स्वास्थ्य के लीण रोगप्रतिरोधक्षमता बनी रहती है । आज के कोरोना के समय मे हमारी भारतीय रसोई के घरागथ्थू मसाले Spices सौंठ, दालचीनी, हल्दी इत्यादी का उपयोग सबने बहुत कीया है ओर स्वास्थ्य भी प्राप्त कीया है। अहमदाबाद की 1200बेड की बड़ी सीवील होसपिटलमे भी हर्बल टी के नाम से यही औषधीयोंका काढ़ा बनाकर वितरीत कीया गया ओर कोरोना के मरीझ को ठीक होने मे भी ये उपाय कारगर रहा। आजकल के बच्चे ये घरमे रही औषधीयों को नही जानते है ओर इसी कारण से उन्हे बाजारू दवाओके अवलंबन पर ज्यादा रहना पड़ता है। आज हम कुछ रसोई के मसाले Spices जो आसानीसे मील जाते है उनके ऊपयोग देखेंगे जो आप अपने बच्चों कों भी बताकर उन्हे कुछ छोटी शारीरीक बीमारीमे उपयोग मे कैसे लाभदायी है वह देखते है । India Kitchen spices.
हल्दी :- Turmeric
रसोई के मसलों Kitchen Spices के डिब्बे में सबसे आकर्षक देखे तो सबसे पहली नजर हल्दी Turmeric पर जाती है। हल्दी गुणो से भरपूर मसाला है। हल्दी Turmeric का पीला रंग शरीरके वर्ण को निखार ने के कारण हरिद्रा, कृमिका नाश करने के कारण कृमिघना, उबटन आदि के लिये स्त्री ओ को विशेष प्रिय होने के कारण योषितप्रिया कहा जाता है। अंगेरेजी में उसे Turmeric तथा लेटीन मे उसे curcuma longa कहा जाता है। समस्त भारत मे हल्दी की खेती की जाती है। हेमंत तथा शीशिर ऋतु मे हल्दी के कांड बाजार मे मीलने लगते है। आयुर्वेद मे हल्दी के रुक्ष, लघु, उष्ण, गुण बताए है। स्वाद मे Turmeric तीखे तथा कड़वे रस से युक्त होती है। हल्दी को बाह्य और आभ्यंतर प्रयोग में औषधी के लिये उपयोग मे लिया जाता है। हल्दी Turmeric का लेप शोथ को कम करता है। वर्ण को निखारता है । दर्द का शमन करता है। घाव को जल्दी से भरता है। हमने कई बार दादी –नानी को घाव पर हल्दी Turmeric का लेप लगाने की सलाह देते सुना होगा शायद उससे घाव में फ़ायदा भी होता है। हल्दी Turmeric के कुछ नुस्के का प्रयोग करके देखे और अपने बच्चे को भी बताए वह भी आसानी से प्रयोग कर सकते है ।
- मुँह के छालों मे हल्दी Turmeric के पानी से कुल्ले करने से लाभ मिलता है ।
- कोई भी चोट मे हल्दी Turmeric को गरम पेस्ट बनाकर लगाने से लाभ मिलता है ।
- गले मे टॉन्सिल होते है जिस मे सुजन के कारण कई बच्चों कों ऑपरेशन करना पड़ता है इसलिये शुरुआती अवस्था मे हल्दी Turmeric को शहद मे मिलाकर चाटने से बहुत लाभ मिलता है ।
- दूध के साथ मिलाई हुई हल्दी Turmeric रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है । बाजार मे कुछ कम्पनी या इसे ही गोल्डन मिल्क का पेस्ट बनाकर बेचती है ।
- मुँह के दाग पर हल्दी, चन्दन तथा गुलाब जल का पेस्ट बनाकर लगाने से त्वचा सुंदर होती है ।
ये प्रयोग बच्चे खुद भी कर सकते है ओर माता अपने बच्चों को भी बता सकते है इस तरह हम कह सकते है कि हल्दी कितनी गुणकारी है ।
हींग :- Asafoetida
रसोई के मसालों Kitchen Spices के डिब्बे मे दूसरी ध्यान खींचनेवाली खुशबूदार चीज़ वह है हींग Asafoetida । उसकी ख़ुशबू हमारा ध्यान उस पर ले जाती है । हींग Asafoetida हजारों कार्य करने के कारण उसे सहस्त्रवेधी भी कहा जाता है । उसका संग्रह लाक्षा के समान किया जाता है । असल मे हींग उसके पेड़ का नीरयास है जो पेड़ तथा जड़ मे छेद लगा कर परखते है । उससे निकलता रस जो जम जाता है उसे हींग Asafoetida कहते है । अंग्रेज़ी मे उसे Asafoetida तथा लेटीन मे उसे ferule narthex कहा जाता है । आज कल बाज़ार में हींग शुध्द नही मिलती है उसकी परख करने के लिये उसे जलाना चाहिये अगर जल जाये तो वह हींग Asafoetida शुद्ध है। पानी मे एकदम घुल मिल जाने वाली हींग भी शुद्ध मानी जाती है । एक सावधानी रखनी चाहिये की कभी भी हींग को कच्चे स्वरूप मे नही उपयोग करना चाहिये उसे एक बार देशी शुध्ध घी मे भून के उपयोग मे लेना चाहिए । पेट के दर्द मे कई बार हमने बच्चों का घोल बनाकर लगाया होगा ओर उससे उनके दर्द मे आराम भी मिलता है। आयुर्वेद के हिसाब से यह वायु शामक गुण के कारण होता है । वह लघु, स्निग्ध, तीक्ष्ण, उष्ण गुण वाली है । हींग वायु तथा कफ का शमन करती है । जब भी गेस ज़्यादा बनने लगे तो आप पानी में हींग Asafoetida को गर्म करके नाभि के आस पास लेप लगाने से आराम मिलता है।
- रसोइ मे हींग Asafoetida का झोंक लगाने से खाना स्वादिष्ट तो बनाता है साथ मे जल्दी से पाचन भी हो जाता है ।
- हींग Asafoetida को गरम पानी मिलाकर पेट पर लगाने से पेट के दर्द में आराम मिलता है , गॅस की तकलीफ, अजीर्ण मे भी लाभ होता है ।
- खुजली के भाग पर हींग Asafoetida का पानी मलने से आराम मिलता है
- हींग Asafoetida की गोली –हींगोली लेने से पेट के दर्द मे आराम मिलता है ।
- दांत के दर्द मे हींग Asafoetida का टुकड़ा दाँतो के नीचे रखने से आराम मिलता है ।
- किडेवाले घाव मे हींग Asafoetida तथा नीम के पत्तों का चूर्ण बनाकर लगाने से कीड़े मर जाते है तथा दर्द का भी शमन होता है ।
इस तरह सुगंधी हींग Asafoetida के बहुत फायदे है ओर वह गेस, क़ब्ज़ियात , घाव, खुजली अनेक सामान्य व्याधियों मे उपयोगी है ।
मिर्च :- Red Chilli
रसोई के मसाले Kitchen Spices के डिब्बे का आकर्षक तीसरा द्रावी है मिर्च Red Chilli हाँ लाल मिर्ची देखकर सबके मुंह मे पानी तो आता है। साथ में जिसको बिना डाले रसोई मे कोई स्वाद ही नहीं रहता। एसी आवश्यक मीरची Chilli के गुण आप देखेंगे तो दंग रह जाएँगे । तीखे रस मे प्रधान होने के कारण उसे कटुवीरा कहा जाता है। भारत मे हरेक प्रांत मे तथा कीचन गार्डन मे भी लोग घरमे मिर्ची उगाते है। हरी मिर्च या लाल मिर्च Red Chilli दोनों रूप मे उसे प्रयोग मे लाया जाता है । अंग्रेज़ी में उसे Red chilies तथा लेटीने मे उसे capsicum annum कहते है । प्रदेश भेद के हिसाब से उसका कई जातिया होती है। उसके लंबाई चौड़ाई तथा तीखापन भी अलग अलग होता है। भारत के मणीपुर की भूत झोलकिया। मिर्च समस्त विश्वमे तीखी देखने को मिली है । रसोइ मे बिना मिर्च के कुछ स्वाद ही नही होता । मिर्च Red Chilli गुण मे लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण, उष्ण आयुर्वेद के हिसाब से मानी गई है । स्वाद के अलावा मिर्चके दूसरे भी उपयोग हैं जैसे
- मिर्च Red Chilli भूख को उत्पन्न करती है और भोजन के प्रति रुची जगाती है ।
- कुत्ता काटने पर तुरन्त उस जंग मिर्च Red Chilli लगने से फ़ायदा बहुत होता है।
- कोलेरा की महाव्याधी मे हींग तथा कपूर के साथ उसकी गोली बनाकर देते है जिससे फायदा होता है ।
- गले के रोग मे 200 एमएल पानी मे 5 ग्राम मिर्च पावडर Red Chilli मिलाकर कुल्ला कराने से लाभ होता है ।
बच्चों को ये सभी उपयोग बताने से असामान्य व्याधियों मे वह खुद भी अपने पर प्रयोग करके जान सकते है की मसाले Spices भी दावा जैसा ही काम कराते है।
धनिया :- Coriander
एक बहुत ही उपयोगी मसाला Spices है धनिया। हारा धनिया भोजन के स्वाद के साथ डिश के सजावट के लिये उपयोगी है जब की सूखा धनिया Coriander स्वाद लाने के लिये बहुत उपयोगी है। शुभ प्रसंग मे भी गुड-धनिया खिलाया जाता है। भगवान श्री राम तथा श्री कृष्ण के जन्म पर बांटी जाने वाली पंजरी के प्रसाद मे भी मुख्य तो धनिया Coriander का चूर्ण ही होता है । धान्य के समान बीज होने के कारण उसे धान्यक , जिसके सेवन से कष्ट दूर हो जाए इसे गुण के कारण उसे वितुन्नक भी कहा जाता है । अंग्रेज़ी मे उसे Coriander तथा लेटीन मे उसे coriandrum sativum कहते है । आयुर्वेद के मत अनुसार धनिया Coriander लघु, स्निग्ध, उष्ण गुण वाला होता है । हरी धनिया की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट बनती है। किचन गार्डन मे भी लोग धनिया घर पर उगा सकते है ।
- धनिया Coriander को उबालकर बनाया पानी शरीर की गर्मी दूर करता है । पेशाब की रुकावट या जलन मे धनिया से सिद्ध जल पीना चाहिए ।
- धनिया Coriander का जल ज्यादा प्यास लगने पर पीने से प्यास को शांत करता है ।
- अजीर्ण ,पेट मे बदहजमी या अरुची , अतिसार , कृमी रोग मे समय धनिया Coriander Powder का चूर्ण खाने से रुची उत्पन्न होती है ।
- बुखार मे ज्यादा प्यास लगाने पर धनिया Coriander जल पीने से आराम मिलता है ।
- गरमी के दिनो मे बच्चों को नाकसे खून बहने की संभावना ज्यादा रहती है उस समय धनिया Coriander का रस नाक मे डालना चाहिये । गरम हवा से अपने बच्चे को बचाने के लिये धनिया का शक्कर के साथ बनाया शर्बत पीना चाहिए ।
- सिर के दर्द मे सूखे धनिया Coriander को पानी मे पीस कर लेप लगाने से आराम मिलता है ।
एस तरह सूखा धनिया Coriander तथा हरा धनिया पाचन के साथ कई रोग मे भी हमें उपयोग मे आ सकता है। छोटी चोटी तकलीफ मे घर मे से ही कुछ देने का एक प्रयोग अवश्य करना चाहिए और बच्चे को इसका महत्व समझना चाहिये।
जीरा :- Cumin Seed
धनिया के साथ हमेशा मसलों Spices मे होता है जीरा। व्यवहार मे भी धनिया जीरा ऐसा बोला जाता है। कई घरों मे दोनों के चूर्ण साथ मे ही मिक्स करके रखे जाते है । जो रसोई मे बहुत उपयोगी मसाला Spices माना जाता है। धनिया जीरा Cumin Seed की पेस्ट बनाकर डालने से रसोई की सुगंध एकदम अलग हो जाती है ओर उसका स्वाद भी अच्छा लगता है। जीरे को अंग्रेज़ी मे cumin seed तथा लेटिन मे cuminium cyminum कहते है । आयुर्वेद के मत अनुसार जीरा Cumin Seed
लघु, रुक्ष, उष्ण गुण वाला है । समग्र विश्वमे गुजरात मे सबसे ज्यादा जीरे की खेती होती है तथा निर्यात भी होता है। जीरा Cumin Seed महिला ओ के सभी व्याधियों मे बहुत ही गुणकारी है । शरीर मे से गर्मी बाहर निकालने का उत्तम उपाय जीरा है ।
- बार बार बुख़ार आता रहता है तो जीरे Cumin Seed की गुड के साथ गोली बनाके खिलाने से लाभ होता है ।
- प्रसूता स्त्रियों को जीरे Cumin Seed का चूर्ण गुड के साथ खिलाने से स्तन की विद्धि होती है।
- बच्चों के कृमि की अवस्था मे उन्हें रोज जीरे Cumin Seed की कुछ मात्रा खाने को देनी चाहिए ।
- जीरे Cumin Seed का चूर्ण पेशाब के रोगों मे मिश्री के साथ देने से लाभ करता है ।
- जीरे Cumin Seed का नमक के साथ चबाकर खाने से पेट के दर्द मे आराम मिलता है ।
एस तरह उत्तम असामान्य व्याधि की दवाओका उपयोग बच्चो को घरमे ही मिल सकता है यह बात बच्चों को सिखाना चाहिए । ये दवा ओ का प्रयोग अनेक शास्त्रों सम्मत है। ये सिर्फ दादी के नुस्ख़े नही है। एक बड़ी कंपनी की हल्दी की केपस्यूल जिस मे मात्र 500 मीग्रा हल्दी है वह 30 गोली की 60 रूपिया कीमत है । अगर वह हम खा सकते है तो घर मे रही रसोइ मे मसालों Spices के डिब्बे मे 60 रुपये मे 250ग्राम वाली क्यों नही खा सकते ? ऐसे ही विदेशी कंपनीयाँ हमारी इन्ही चीजों को अच्छे पेकींग मे बेचती है। इसलिए हमें हमारे बच्चों को रसोई घर में मौजूद मसालों Spices के विषय में जानकारी ज़रूर देनी चाहिये।
Dr. Hardik Bhatt
आप को अपने बच्चें के स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या हो तो आप हमे निचे दिए गए E – Mail पर संपर्क कर सकते है | हमारे अनुभवी Doctor आप के बच्चे की समस्या का योग्य निदान करेंगे |
E – Mail : hello@crazykids.in
Heer Trivedi
Nice information
Bahot hi accha likha he