
आयुर्वेद के अनुसार दही खानें के फ़ायदे
भोजन में दहीं का सेवन गुणकारी है। पर हमारे आयुर्वेद शास्त्र में दहीं के सेवन का मतमतांतर बताया है। यहाँ हम दहीं का भोजन में किस तरह से उपयोग करना चाहिये यह बता रहे है। हम आपको आयुर्वेद के अनुसार दही खाने के फ़ायदे Health Benefits of Yogurt according to Ayurveda बता रहे हैं।
आयुर्वेद की तमाम संहिता मे दही के सेवन की विधी बताई है। इन सब संहिता मे चरक संहिता के अनुसार देखे तो आहार कल्प अध्याय मे दही के सेवन की विधी विशेष रूप से बताई है। जिसका वर्णन हम यहाँ कर रहे हैं।
प्राणी के दूध के अनुसार दही के गुण :- Properties Of Yogurt According To Animal’s Milk
गाय, भेंस आदि प्राणी के दूध मे से बने दहीमे भी उन्हीके समान गुण आते है जैसा भोजन वह करते है उसी प्रकार के गुण धर्म होते है। तो आईये सबसे पहले गाय के दूध मे से बने दही के गुण देखे :–
- गाय के दूध से बना दही स्वाद मे अम्ल – मधुर रसवाला, ग्राही, पाचन मे भारी, उष्ण, वायु के विकार को मिटानेवाला, मेद, वीर्य, बल तथा कफ को उत्पन्न करता है। रक्तपित्त एवं शोथ को उत्पन्न करता है। जठराग्निकी वृद्धि करता है। स्निग्ध, पाक काले मधुर, पवित्र तथा आहार परत्वे रुची उत्पन्न करने वाला है ।
भेंस के दूध से बना दही :- Yogurt Made From Buffalo Milk Curd
- भेंस के दूध से बना दही घट्ट, मधुर, रक्तदोष को उत्पन्न करनेवाला, कफ तथा शोथ उत्पन्न करनेवाला, पौष्टीक तथा पित्त को उत्पन्न करनेवाला तथा वायुका प्रकोप करनेवाला होता है ।
बकरी के दूध से बना दही :- Yogurt Made From Goat’s Milk
- बकरी का दही उष्ण, क्षय रोग तथा वायु का नाश करनेवाला, अर्शरोग, श्वास रोग, तथा खांसी को मीटानेवाला , जठराग्निको प्रदीप्त करनेवाला ,पाककाले मधुर, पौष्टीक, तथा रक्तपित्त का शमन करनेवाला होता है ।
भेड़ के दूध से बना दही :- Yogurt Made From Lamb’s Milk
भेड़ के दूध से बना दही कफ, वायु तथा अर्श को प्रकोप करनेवाला , जठरागनी को प्रदीप्त करनेवाला, नेत्रो को हीटकर, पांडुरोग को उतपना करनेवाला, गुण मे रुक्ष, उष्ण, स्वाद मे कषाय, मधुर, तथा श्वीत्र – सफ़ेद दाग को बढ़ानेवाला है ।
दही के गुण :- Properties Of Yogurt
रोचनंदीपनंवृष्यंस्नेहनंबलवर्धनम्।
पाकेऽम्लमुष्णंवातघ्नंमङ्गल्यंबृंहणंदधि ॥२२५॥
पीनसेचातिसारेचशीतकेविषमज्वरे।
अरुचौमूत्रकृच्छ्रेचकार्श्येचदधिशस्यते ॥२२६॥
शरद्ग्रीष्मवसन्तेषुप्रायशोदधिगर्हितम्।
रक्तपित्तकफोत्थेषुविकारेष्वहितंचतत् ॥२२७॥
त्रिदोषंमन्दकं, जातंवातघ्नंदधि, शुक्रलः।
सरः, श्लेष्मानिलघ्नस्तुमण्डःस्रोतोविशोधनः ॥२२८॥
अर्थात् दही भोजन मे रुचि उत्पन्न करता है। भूख लगाता है । जातिय शक्ति बढ़ाता है। शरीर का स्निग्ध, चमकदार ताज़गी युक्त बनाता है। शरीर का बल भी बढ़ाता है ।
दही पाचन होने पर अम्ल गुण का विपाक करता है । दही गुण मे उष्ण है । दही वायु का शमन करता है । किसी भी शुभ कार्य में दही मंगलकारी है। दही के शूकन अच्छा माना जाता है । दही वजन भी बढ़ाता है । पीनस- प्रतिश्याय, अतिसार –दस्त लगना, तेज ज्वर, अरुचि – भोजन का भाव न होना, मूत्र गत विकार, कृशता मे दही लाभ कारी है । शरद ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वसंत ऋतु मे दहीका सेवन नही करना चाहीये । कफ के रोग तथा रक्तपित्त के रोगो मे भी दही के सेवन का निषेध बताया है ।
अर्धपकव दही का सेवन नही करना चाहीये। वह त्रिदोष को बढ़ाता है । अच्छी तरह बना हुआ दही वायु का शमन करता है । दही की मलाई कफ तथा वायू के रोगी के लिए उपयोगी है तथा दही का मठा – पानी स्त्रोतों का विशोधन भी करता है ।
आचार्य चरक के अनुसार दही के सेवन की विधी :- According To Acharya Charak, The Method Of Consumption Of Yogurt
न नक्तं दधि भुञ्जीत न चाप्यघृतशर्करम्|
नामुद्गयूषं नाक्षौद्रं नोष्णं नामलकैर्विना ||६१||
ज्वरासृक्पित्तवीसर्पकुष्ठपाण्ड्वामयभ्रमान्|
प्राप्नुयात्कामलां चोग्रां विधिं हित्वा दधिप्रियः ||६२||
- रात्री में दही अथवा छाछ का सेवन निषेध बताया है ।
- दिन के समय भी अगर दही खाना हो तो दही के साथ घी, शक्कर, मूंग की दाल, शहद या आंवला का चूर्ण मिलाकर ही खाना चाहीये ।
- दही को कभी भी गरम कर के नही खाना चाहीये ।
- विधि रहित दही के सेवन करने से ज्वर – बुखार, रक्तपित्त – शरीर के किसी भी भाग मे से रक्त का स्त्राव होना, विसर्प – सूजन, कुष्ठ रोग – त्वचा के विकार, पांडु रोग – खून की कमी , चक्कर आना, कमला – के रोग होते है ।
आचार्य हारीत के अनुसार ऋतु के अनुसार दही का सेवन :- According To Acharya Harit, The Consumption Of Yogurt According To The Season
- वर्षा ऋतुमे दही पित्त को उत्पन्न करता है तथा वायु एवं कफ का शमन करता है । गुल्म, अर्श, कुष्ठ तथा रक्तपित्त रोगवालों को दही नही खाना चाहीये।
- शरद ऋतुमे दही, अमल, तथा रक्त पित्त को बढ़ानेवाला है । शरीर पर सूजन, तृषा तथा ज्वर- बुखार वालो को दही खाने से विषम ज्वर उत्पन्न होता है ।
- हेमंत तथा शिशिर के ऋतुमे दही पाचन के लिये गुरु, स्निग्ध, मधुर, कफ उत्पन्न करनेवाला, बल को बढ़ानेवाला, वीर्य उत्पन्न करनेवाला, बुद्धी देनेवाला, शरीर को पुष्ट करनेवाला, तृप्ति करनेवाला तथा धातुओ की वृद्धि करनेवाला है।
- वसंत ऋतुमे दही वायुकर्ता, मधुर रसवाला, स्निग्ध, कीचीत अम्ल रसयुक्त, बल देनेवाला तथा वीर्य उत्पन्न करनेवाला है।
- ग्रीष्म ऋतुमे दही लघु, अम्ल रस युक्त, अतिशय उष्ण तथा रक्त पित्त को बढ़ाने वाला होता है । दही खाने से शोष, भ्रम तथा भूख उत्पन्न होती है।
- शरद, ग्रीष्म तथा वसंत ऋतुमे दही वात पित्त आदी दोष उत्पन्न करते है इसलिये दही का सेवन नही करना चाहिये।
- दही का सेवन रात्री काल मे भी नही करना चाहिये।
- दही मे घी तथा शर्करा मिलाकर ही खाना चाहिये।
- हिक्का – हीचकी, अस्थमा – श्वास लेनेमे कठिनाई, अर्श रोग, प्लीहा के रोग, अतिसार – दस्त लगना तथा भगंदर के रोगी को दही मे नमक डाल कर सेवन करना चाहीये । इन रोगीयो को दही मे नमक, तथा पानी, मिलाकर लेना चाहीये । पानी तथा नमक मिला हुआ दही रात्रि के समय ले सकते है ।
आचार्य सुश्रूत के अनुसार दही का सेवन :- According To Acharya Sushruta, Yogurt Is Consumed
स्नेहनं गुडसंयुक्तं हृद्यं दध्यनिलापहम् ||३८४|| su. Su. 46
आचार्य सुश्रुत कहते है कि दही में गुड़ मिलाकर खाने से वह ह्रदय के लिए गुणकारी होता है तथा वायु दोष का शमन करता है।
इस तरह हमने यहाँ आयुर्वेद के अनुसार दही खाने के फ़ायदे आपको बताया है। अब हम यहाँ दही जमाने की विधि बता रहे है।
दही जमाने की विधि :- Yogurt Recipe
दूध को अच्छे से एक बार उफान आए तब तक उबाल ले। फिर उसे रूम के सामान्य तापमान तक ठंडा होने दे। दही जमाने के लिए स्वच्छ मिट्टी के पात्र का उपयोग करे। इस पात्र मे सामान्य तापमान वाला दूध डाले। अच्छे से जमाये हुये दही मे से एक चम्मच दही ले। उसे इस दूध मे मिलाए। बिना हिलाए पात्र को एक स्थान पर बराबर ढक्कन लगाकर रख दे। गर्मी के दिनो मे छह – सात घंटे मे दही तैयार हो जाता है तथा ठंड के दिनोमे 12-15 घंटे लगते है । अपने अपने स्थल की जल – वायु के हिसाब से दही बनाने का समय लगता है। अच्छे से तैयार किया गया दही बाद मे फ्रीज मे रख सकते है ।
दही मे मुख्यतया लेकटीक एसीड होता है जो खाना हजम करने मे लाभ दायी होता है। शाकाहारी लोगों के लिये विटामिन बी 12 का अच्छा स्त्रोत दही है। शुभ अवसर पर दही में शक्कर खा कर के जाना शुभ माना जाता है। दही पवित्र तथा मंगल कारी है। तो अपनी प्रकृति, दोष के अनुसार दही का सेवन करे। बहुत ही फ़ायदे मंद है। दही से आपे मीठी लस्सी और छाछ भी बना सकते हैं।
डेरी प्रोडक्ट पार्लर में दही के पैकेट भी सरलता से मिलती हैं। बहुत लोग प्राणियों के दूध तैयार कर केमिकल के उपयोग से दही बनते हैं। बहुत ज़रूरी आवश्यकता हो तो हि आप पैकेट वाले दही का उपयोग करें। नहीतर अपने घर में ही दूध का दही बनाये यह स्वास्थ्य की दृष्टि से आपके लिए लाभकारी होता है। इस तरह हम ने आपको आयुर्वेद के अनुसार दही खाने के फ़ायदे Health Benefits of Yogurt according to Ayurveda ऊपर बताए है आप दही का अपने भोजन के साथ उपयोग करके आप अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं।
Dr. Hardik Bhatt
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