• No products in the cart.

Crazy Kids

Sleep Disorder in Child

बच्चों में नींद न आने के कारण, लक्षण और उपाय

नींद न आना  : – Sleep Disorder

निद्रा श्लेष्म तमो भवा – ( अष्टांग ह्रदय )

आयुर्वेद के ऋषि  ने  नींदरा को शरीर मे  श्लेष्म तथा तमोगुण की अधीकता से होने वाला बताया है। जब शरीर मे श्लेष्मा बढती है  या फिर पूरे दिन के काम के बाद तमो गुण की वृद्धी होती है तो हमे नींद आती है । जब ठीक से नींद नही आती तो उसे अनीन्द्रा कहते है । बढ़ती उम्र मे ये बात सामान्य है , परंतु आजकल ये बात बच्चों मे भी देखने मिलती है , तो हम आपको “ बच्चों में नींद न आने का कारण, लक्षण और उपाय (Sleep Disorder in Children Causes,Symptoms and Remedies)  नीचें बता रहे है  :- 

अनिद्रा क्या है :-  What is insomnia (Sleep Disorder)

रात को नींद आने में परेशानी देर रात तक नींद (Sleep) न आना और सुबह जल्दी नींद खुल जाने का मतलब होता है अनिद्रा  कई बार ऐसा शिशुओं और बच्चों के साथ भी होता है |ज्यादातर बच्चे बिस्तर पर जाने के 15 से 20 मिनट के अंदर सो जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को लगातार सोने में दिक्कत आती है। वो देर तक जागते रहते हैं, रोते-चिड़चिड़ाते हैं और कई बार थोड़ी देर में ही सोकर उठ जाते हैं और दोबारा सोना नहीं चाहते हैं। अगर यह लगातार होता है, तो हो सकता है कि बच्चे को अनिद्रा की समस्या है। यह न सिर्फ शिशु के लिए, बल्कि उनके माता-पिता के लिए भी परेशानी का कारण बन जाती है ।

छोटे बच्चे को नींद न आने का कारण :- Reason of Child  Sleep Disorder

अगर बच्चों में नींद की समस्या को दूर करना है, तो उसका कारण जानना भी उतना  जरूरी है। इसलिए, नीचे हम आपको छोटे बच्चे को नींद न आने की वजह बता रहे हैं ।

  1. डर (Bedtime Fears) :- कभी-कभी बच्चों की नींद (Sleep) खराब होने की वजह डर भी हो सकता है। बच्चे को अंधेरे से डर या अकेले सोने का डर उनकी नींद खराब कर सकता है। हो सकता है बच्चा अचानक किसी आवाज से डर गया हो और जब उसकी नींद खुले, तो अपने आसपास किसी को न पाकर घबरा जाए। इस कारण बच्चे को नींद आने में परेशानी हो सकती है।
  2. बुरे सपने (Nightmares)  :- बड़ों की तरह ही बच्चों को भी सपने आ सकते हैं। दो साल की उम्र से बच्चों को बुरे सपने भी आ सकते हैं । ऐसे में बच्चे को सोने में परेशानी हो सकती है। और वह बुरे सपने देखकर डर सकते हैं।
  3. सांस की तकलीफ (Apnea of Prematurity):-  अगर शिशु को सोते वक्त सांस लेने में तकलीफ हो, तो उसे नींद आने में परेशानी हो सकती है । एपनिया ऑफ प्री मैच्योरिटी (Apnea of Prematurity) में शिशु की सांस 15 से 20 सेकंड के लिए बंद हो जाती है। इसके अलावा, इसमें हृदय गति धीमी होने के साथ-साथ ऑक्सीजन का स्तर कम होने का खतरा भी हो सकता है। ऐसे में यह शिशु के लिए जानलेवा भी हो सकता है ।
  4. भूख (Hunger) :-  शिशु का पेट अगर सही तरीके से न भरा हुआ हो, तो उसे रात को नींद आने में परेशानी हो सकती है। इसलिए, शिशु को अच्छे से दूध पिलाकर सुलाएं ।
  5. दर्द या बीमारी(Pain or illness) :-  शारीरिक तकलीफ (कान दर्द, बुखार या दांत आने की वजह से कोई दिक्कत) की वजह से भी शिशु को नींद आने में परेशानी हो सकती है ।
  6. वातावरण या अन्य समस्या( Environment or other problem) :-  जरूरत से ज्यादा गर्मी या ठंड, सोने की जगह में बदलाव, आसपास के वातावरण से परेशानी और नैपी के गीले होने की वजह से भी शिशु को नींद आने में परेशानी हो सकती है ।
  7. अलग होने का डर (Fear of separation ) :-  शिशु की बढ़ती उम्र के साथ-साथ उनमें समझ भी विकसित होने लगती  है। ऐसे में उनमें माता-पिता या किसी करीबी व्यक्ति से बिछड़ने का डर मन में आने लगता है। इस स्थिति में बच्चा रात में नींद से जाग सकता है ।कभी कभी एक बच्चे के बाद दूसरा बच्चा आता है तो बड़े बच्चे के मन मे असलामती की भावना उत्पन्न होती है । तो भी उसकी नींद (Sleep)  उड़ जाती है और वह थोडा परेशान हो सकता है |
Causes of Sleep Disorder

Sleep Disorder in Child

नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में सोना क्यों जरूरी है? :-  Why is it Important for a Newborn to Sleep Insufficient.

नीद्रायतम सुखम दु:खम पुष्टि कार्श्यम बलाबलम ।  ( अष्टांग ह्रदय )
(नींद ही शरीर की पुष्टी , कृशता , सुख, दु:ख सबका कारण है)

 हर किसी को आराम की जरूरत होती है। ठीक उसी तरह नवजात को भी ज्यादा से ज्यादा आराम की जरूरत होती है। नीचे हम आपको इसके कारण के बारे में बता रहे हैं ।

  • शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए नींद (Sleep) जरूरी है।
  • सोने से शिशु स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करते हैं।
  • उनकी लंबाई पर भी इसका असर होता है।
  • उनके Hormones पर सोने का प्रभाव पड़ता है।
  • उनकी याददाश्त पर भी इसका असर होता है।

अब हम आपको बता रहे है कि शिशु को दिनमें कितनी नींद की जरूरत रहती है |

नवजात शिशु को एक दिन में कितने समय तक सोना चाहिए?

 नवजात को 24 घंटे में से 14–17 घंटे की नींद की जरूरी है। हालांकि, कुछ नवजात 18–19 घंटे भी सो सकते हैं। नवजात खाने के लिए हर कुछ घंटे में जागते हैं। स्तनपान करने वाले बच्चे ज्यादा जाग सकते हैं, वहीं बोतल से दूध पीने वाले बच्चे कम उठते हैं। जो नवजात लंबे वक्त तक सोते हैं, उन्हें दूध पिलाने के लिए पूरे दिन में बीच-बीच में उठाना चाहिए। उन्हें रात में अधिक समय तक सोने देना चाहियें ।

1 साल तक के बच्चे 14-15 घंटे की नींद पर्याप्त है । जैसे बच्चें बड़े होते है नींद (Sleep) की मात्रा कम होती जाती है । 2 साल के बाद बच्चें 8-10 घंटे सोये वो पर्याप्त है । सामान्य आड़ा,ई के लीये 7-8 घंटे की नींद प्रयाप्त है ।

 

बच्चों की नींद पूरी न हो तो उन्हें कुछ तकलीफ होती है ?

 अगर बच्चे की नींद (Sleep) न पूरी हो, तो आगे चलकर उन्हें कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जिसके बारे में हम नीचे आपको बता रहे हैं जैसेः

  • डायबिटीज (Diabetes)
  • दिमागी विकास में परेशानी (Trouble in brain development)
  • मोटापा (Obesity)
  • ह्रदय संबंधी समस्या (Heart problem)
  • थकावट (Exhaustion)
  • ऊर्जा की कमी (Lack of energy)

शिशुओं में अनिद्रा के लक्षण :- Symptoms of Sleep Disorder in Infants

 शिशुओं में अनिद्रा के सामान्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं 

  • चिड़चिड़ा हो जाना
  • पूरे दिन रोना
  • रात को सोने में परेशानी
  • दिन में झपकी लेना या सोना
  • सुबह उठने के बाद भी नींद में होना (Groggy) सोने के लिए मना करना
  • रात में लेटने के बाद बहाने से पानी पीने के लिए जागना
  • कहानियां सुनने की जिद्द करना
  • सोने में कठिनाई होना 
  • रात को बार-बार उठाना और फिर से नींद न आना
  • समय से पहले जागना
  • नींद की अनियमित दिनचर्या 
  • सुबह जागने या स्कूल के लिए उठने में परेशानी
  • अक्सर थकान की शिकायत करना 
  • दिन मे नींद आना
  • बच्चों का किसी भी चीज में ध्यान न होना
  • याद्दास्त मे कमी
  • सामाजिक, पारिवारिक या शैक्षणिक प्रदर्शन में कमी 
  • व्यवहार संबंधी समस्याएं (आक्रामकता या विरोधी व्यवहार)
  • किसी भी चीज का निर्णय ना ले पाना
  • सहनशीलता में कमी

  नवजात शिशु को सुलाने के उपाय :-  Ways to put a Newborn Baby to Sleep

 नीचे बताए गए उपाय से आपको अपने नवजात को सुलाने में मदद मिल सकती है ।

  • अपने बच्चे के सोने का एक रूटीन बना लें, ताकि हर रोज आप अपने शिशु को उसी समय पर ही सुलाएं।
  • अपने बच्चे को सुलाने सेपहले मालीस करे और फिर उन्हें नहला कर स्लाएँ   
  • शिशु को सुलाने से पहले उसके कपड़े बदले, उसकी नैपी चेक करें और साथ ही उसके बेड की सफाई का ध्यान रखें।
  • अगर आप का बच्चा शांत वातावरण में सोता है तो भर शोर न हो उसका ध्यान रखें |
  • उनके सोने की जगह पर ज्यादा चीजें न हो और अगर आप उन्हें कंबल या चादर ओढ़ा रही हैं, तो ध्यान रहे कि उनका मुंह न ढकें।
  • अपने बच्चे को पीठ के बल सुलाएं।
  • बच्चो को कहानी या लॉरी गा कर सुनाए ।
  • बच्चो के साथ छोटा बच्चा बनाकर मस्ती करे ।
  • निश्चित करें कि बच्चा कैफीन  युक्त खाद्य पदार्थों और पेय का सेवन न करें।  
  • वातावरण को बच्चे के अनुकूल बनाएं, जैसे: कमरे का तापमान आरामदायक हो, कमरे में शोर न हो  और उजाला कम करें।  
  • बच्चों को रिलैक्सेशन (विश्राम) तकनीक सिखाने में मदद करें। 
  • पर्याप्त नींद को प्राथमिकता बनाएं।
  • बच्चों के सोने के लिए एक नियमित दैनिक दिनचर्या बनाएं।
  • दिन के दौरान बच्चे को एक्टिव रखें, जैस उसे किसी न किसी तरह के शारीरिक खेल या गतिविधियों को करने के लिए प्रेरित करें।
  • आपका बच्चा फोन या टीबी के सामने कितना समय व्यतीत करता है, इसकी पूरी जानकारी रखें। उसके फोन का इस्तेमाल करने या टीबी देखने के समय फिक्स करें।
  • अपने बच्चे के सोने से एक घंटे पहले ही उसे फोन या टीबी न देखने दें।

नींद खराब होने का एक कारण शैयामूत्र भी हो सकता है । ये भी बच्चोकी सामान्य बीमारी है ।

उसके बारेमे जाने :- 

बिस्तर गीला करना वह अवस्था हैं, जिसमें पांच साल की उम्र से ऊपर के बच्चे रात में सोने के वक्त, अनजाने में बिस्तर पर ही सोते हुए पेशाब कर देते हैं । ऐसी स्थिति कोई बिमारी नहीं है अक्सर बच्चो को पता नही रहता कि उन्हों ने बिस्तर गिला किया है पर इससे 15-20  प्रतिशत बच्चे,  2-3 प्रतिशत किशोर और 0.5 2-2  प्रतिशत युवक भी प्रभावित होते हैं।

सामान्यत: रात के समय जिन बच्चे और किशोरों में बिस्तर गीला करने की आदत रहती हैं, आमतौर पर वे दिन में बिस्तर गिला नहीं करते । हालांकि 10-20 प्रतिशत बच्चों में रात के अलावा दिन में भी बिस्तर गीला करने के लक्षण पाए गए हैं ।

बिस्तर गीला करने के कारण :- Causes of Bedwetting

जिन बच्चों में बिस्तर गीला करने की बीमारी होती हैं, वह उसे महसूस ही नहीं कर पाते । यह कई कारणों से होता हैं । इनमें से कुछ कारण निम्न हैं :

  • रात में न जग पाने की असमर्थता
  • मूत्राशय ( ब्लैड़र) का जरूरत से अधिक क्रियाशील होना
  • मूत्राशय के नियंत्रण में देरी होना
  • मूत्र विसर्जन पर नियंत्रण न होना
  • कब्ज
  • कॉफी का सेवन
  • मनोवैज्ञानिक समस्या
  • आनुवांशिकी कारण
  • नाक संबंधित अवरोध अथवा गहरी नींद

बिस्तर गीला करने से छुटकारा पाने के घरेलू उपाचार :-

घरेलू उपचार के दो मुख्य प्रकार हैं एक आदत में बदलाव और दूसरा पूरक व कुछ वैकल्पिक उपाय, जैसेकि अलार्म, गिफ्ट देना, होमियोपेथी और एक्युपंक्चर इत्यादि । 

आदतन उपचार :-

बिस्तर गीला करने की आदत के निवारण में कुछ आदतों पर नियंत्रण रखना भी हैं । इसके कुछ उपाय इस प्रकार हैं…

इनाम योजना : – बिस्तर गीला करने वाले बच्चों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण व प्रारम्भिक उपाय हैं । जब भी बच्चा बिस्तर गीला न करे तो उसे पुरस्कृत करना चाहिए, इससे उसमें इसे जारी रखने का उत्साह आता हैं , जो कि सकारात्मक सुधार लाता हैं। हालांकि इसका एक उल्टा प्रभाव भी पड़ता हैं कि जब बच्चे बिस्तर गीला करते हैं. तो उनमें आमतौर पर ग्लानि की भावना रहती ही हैं और साथ ही इनाम न मिलने की हताशा भी रहती हैं।

सोने से पहले दो बार पेशाब कराएं बच्चे को सोने के लिए तैयार करने से पहले पेशाब कराएं । जब बच्चा सोने के तैयार हो तो उससे पहले भी उसे पेशाब कराएं । सोते समय प्रवाही चीजें कम दें |

शाम के समय तरल पदार्थ का सेवन कम करें :-  बच्चों को दिन के वक्त काफी मात्रा में तरल पदार्थ पीने को कहा जाना चाहिए । लेकिन शाम के बाद बच्चों को कम मात्रा में तरल पदार्थ पीने देना चाहिए। इससे बच्चों को सोने जाने से पहले मूत्राशय ( ब्लैड़र) खाली करने में मदद मिलती हैं। जरूरत से अधिक नियंत्रण के गलत परिणाम भी हो सकते हैं जिसका नतीजा मूत्राशय ( ब्लैड़र) की भंडारन क्षमता का कम होना हो सकता हैं। मूत्राशय ( ब्लैड़र) की क्षमता घट जाने से मूत्राशय ( ब्लैड़र) में रातभर पेशाब इकठ्ठा नहीं हो पाता और फलस्वरूप बच्चे और बिस्तर गीला करने लगते हैं।

नाइट लैम्प का उपयोग करें  :-

रात के समय नाइट लैम्प ऑन रखकर बच्चों को रात के वक्त पेशाब करने के लिए उत्साहित किया जा सकता हैं। इससे बच्चों में अंधेरे का डर नहीं रहेगा और वह रात के वक्त शौचालय जाने से परहेज नहीं करेंगे।

समय से पेशाब कराना :-

रोज रात में बच्चों को जगाकर पेशाब कराने का नियम होना चाहिए। इससे बच्चों में पेशाब करने की आदत नियमित हो जाती हैं और बिस्तर गीला होने से बच जाता हैं। बड़े बच्चों, किशोर और व्यस्क को रात के वक्त अलार्म लाकर जागकर पेशाब करना चाहिए। कुछ अभिभावक बच्चों को सोने से जगाकर पेशाब कराने के लिए कुछ सांकेतिक शब्द का इस्तेमाल करते हैं ।

अलार्म :-

बिस्तर गीला करने वाले बच्चों को ऐसे बिस्तर पर सुलाया जाना चाहिए, जिसपर पेशाब गिरने से उसका इलेक्ट्रिक अलार्म बजना शुरू हो जाय। यह अलार्म शरीर से जुड़ा रहता हैं और जिसके सेंसर अंडरवियर से लगे होते हैं। ये अलार्म या तो हल्के उपकरण होते हैं या फिर इसमें ध्वनि अथवा कंपन होता हैं।

जरूरत से ज्यादा प्रशिक्षण :-

बिस्तर पर जाने से पहले व्यक्ति अधिक पानी पीकर मूत्राशय ( ब्लैड़र) में जरूरत से अधिक पानी भर लेता हैं । इस अलार्म प्रशिक्षण को दो सप्ताह तक व्यवहार में लाना चाहिए। जिससे शरीर को मूत्राशय ( ब्लैड़र) के अवधारन में पहचान होती हैं।

मूत्राशय ( ब्लैड़र) का प्रशिक्षण :-

मूत्राशय ( ब्लैड़र) को लम्बे समय तक अधिक मात्रा में पेशाब एकत्र करने का प्रशिक्षण दिया जा सकता हैं। बच्चों को दिन के समय अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करने का प्रशिक्षण देना चाहिए और पेशाब करने के बीच के समयांतराल को बढ़ाना चाहिए ।

बच्चों को नींद में उठाना :-

अभिभावकों को बच्चों को नींद से उठाकर पेशाब कराना चाहिए, जिससे मूत्राशय ( ब्लैड़र) खाली होगा और बिस्तर गीला होने से बचेगा। इस प्रक्रिया को लिफ्टिंग कहते हैं।

ये उपाय करने से बच्चो की बेड वेटींग की समस्या मे आराम मिल सकता है। तथा बच्चे आराम से अपनी नींद ( Sleep ) पूरी कर सकते है ।

इस तरह हम देखतें है कि बच्चों की नींद ( Sleep )  ना आने के अनेक कारण है | हमें सिर्फ यह जानना है  कि हमारा बच्चा किस कारण से नींद नही ले पा रहा है | यहाँ हमने आपको बच्चों में  “बच्चों में नींद न आने का कारण, लक्षण और उपाय ”  (Sleep Disorder in Children Causes,Symptoms and Remedies)  बताया है जिससे बढती उम्र में शिशु को और उससे बड़े बच्चों को आप निद्रा न आने का Sleep Problem कारण समझ कर उसे समय के साथ दूर कर सकते है |

 

Dr. Hardik Bhatt

आप को अपने बच्चें के स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या हो तो आप हमे निचे दिए गए E – Mail पर संपर्क कर सकते है | हमारे अनुभवी Doctor आप के बच्चे की समस्या का योग्य निदान करेंगे |

E – Mail : hello@crazykids.in

Comments

  • Heer Trivedi
    October 11, 2020

    Aap article ke dhvara achi achi jankari dete ho.
    Nice article 👌👌

    Reply
  • Arti parmar
    October 13, 2020

    Thanks for sharing the details 😊

    Reply
  • Premila
    October 13, 2020

    Ek dam shi bat btai sir, thank you so much.

    Reply
  • Arvind
    October 13, 2020

    Very good

    Reply

Post a Comment