
वसंत ऋतु में बच्चों को Healthy रखनें के उपाय
हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार भारत देशमे छह प्रकारकी अलग अलग ऋतुका अनुभव होता है । सर्दी जाने तथा गर्मी आनेके बीच के दिनो को वसंत ऋतु माना गया है । सूर्य संक्रांति अनुसार सूर्य का कुम्भ राशि तथा मीन राशी का परिभ्रमण के दिनो को वसंत ऋतु मानते है । ईन दिनो मे वसंत पंचमी तथा होली के त्योहार बहुत आनंद से मनाए जाते है ।
आयुर्वेद के अनुसार वसंत ऋतु मे ऋतु संधी का समय माना गया है। रात मे ठंड लगती है तथा दिन मे दोपहर के समय गर्मी का सामान्य अनुभव होता है। धीरे धीरे पंखे की जरूरत पड़ने लगती है। सावधानी न रखने के कारण ईन दिनो मे शरीरमे कफ की मात्रा बढ जाती है। कफ गर्मी के कारण बाहर नीकलने का प्रयास करता है , जिससे कफ जन्य कई रोग होने की संभावनाए बढ जाती है । बच्चों तथा वयस्क लोगो को इस समस्या का बहुत अनुभव होता है । ईसमे भी छोटे बच्चों की विशेष सावधानी रखनी पड़ती है । आयुर्वेद के कुछ नियम से वसंत ऋतुमे Spring Season बच्चों की खान –पान के साथ विशेष सावधानी रखने से बीमार होने से बचाया जा सकता है।
इस समय मे पुराने गेहु, चावल, जौ, का उयपयोग खाने मे विशेष रूप से करना चाहीये। ये अनाज 1 साल पुराने हो तो बहुत ही लाभकर है। पुराने होने पर ईसमे से स्निग्धता कम होती है तथा वे कफ को कम करने मे सहायक होते है । इसमेसे भी जौ का ज्यादा उपयोग करना चाहीये । फलोमे आवला खाना हितकारक है । सुबह सुबह 30 ML जीतना आंवले का रस पीने से रोगप्रतीरोध क्षमता बढ़ती है । धान को सेक कर बनाए पदार्थ विशेष रूपसे कफ को कम करते है । धानी- पोपकोर्न – फरवी –पौया , भुने हुये चने आदि पदार्थ विशेष रूपसे लाभकर है । सब्जीमे परवल, करेला का उपयोग अवश्य करना चाहीये ।
ये सब के साथ इन दिनो दोपहर सोना नही चाहीये। धूप मे कम बाहर जाना चाहीये। ठंडा हवा, बाग- बागीचो मे घूमना चाहीये । सुबह का चंक्रमण करने से बहुत लाभ होता है। सूर्य नमस्कार जैसी कसरत करनी चाहीये। योग तथा प्राणायाम को नियम अनुसार करने से बहुत लाभ होता है।
ये सब सामान्य नियम के बाद अब हम बात करते है बच्चों को क्या सावधानी रखे ।
ऋतुसंधी के इस समय मे बच्चोंको सर्दी,खांसी, जुकाम, बुखार, पीडीका एवं त्वचा के विकारो की संभावना ज्यादा होती है। ये सब से बच्चों को बचाना बहुत जरूरी है ।
बच्चे ज्यादा दवाई भी पसंद नही करते तो उन्हे दवाई के बदले परहेज करके बचाया जा सकता है।
बच्चों की सर्दी- जुकाम के लीए :- For Children Colds
- तुलसी के पत्तों का रस 10 ML की मात्रा मे नियमीत सुबह खालीपेट पीलाए ।
- काले मिर्च के चूर्ण को चावल तथा घी मे मिला के खिलाए ।
- नागरवेल का पत्ते को गरम करेके उसका रस 5 ML की मात्रा मे बच्चोकों शहद मिला कर पिलाना चाहीये ।
- भुने हुये चने, हल्दीवाले चने बच्चोंको खाने के लिये दे ।
- रात को सोते समय तथा घर से बाहर जाते समय बच्चोंके नाक मे गाय का देशी घी लगाए ।
बच्चोकों खांसी के लिये :- For Children Cough

courtesy everymum
- भुने हुये चने, हल्दीवाले चने बच्चोंको खाने के लिये दे ।
- बच्चों को खजूर अवश्य खाने को दे ।
- फरवी,पौआ आदि हल्की चीजे बच्चों को नास्ते में खाने को दे ।
- मीठाई, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम, चॉकलेट आदि बच्चो को न खाने के लीये समजाए । ज्यादा जीद करने पर घर मे बनाई देशी गुड की मिठाई दे ।
- बाज़ार से लाए गये खाध्य पदार्थ का उपयोग न करें।
- अडूसी के पत्तों का रस 10 ग्राम की मात्रा मे शहद के साथ पीलाए ।
- अदरक के रस को समान मात्रा मे शहद मिलाकर सेवन करावाए, बलगम वाली खांसी मे ये लाभकर है ।
- फिटकरी को फुलाकर महीन चूर्ण बनाकर रखे, बलगम वाली खांसीमे शहद के साथ 2 ग्रामकी मात्रामे दिनमे दो बार अवश्य चटाये ।
- इलायची को जलाकर उसकी भस्म बना ले । उसका चूर्ण शहद या दूध के साथ बच्चे को पिलाने से बलगम निकल जाता है ।
त्वचा के विकार :- Skin disorders
कई बच्चों को इन दिनो मे खुजली की समस्या होती है । कफ के कारण खुजली होती है । आयुर्वेद मे भी बताया है की “ न कफ़ेन विना कंडु ” कफ के प्रकोप होने के कारण खुजली से बचाने के लीये ये प्रयोग अवश्य करे :-
- निम्ब तेल का नियमीत बच्चोंके शरीर पर मालिस करे । हांलाकी ये निंब तेल बहुत कडुआ ओर उसकी विशेष गंध होती है तो उसे आप नारियल तेल मे मिक्स करके भी बच्चो को लगा सकते है ।
- पलाश के फूल जिसे केसुड़ा या butea monosperma भी कहा जाता है , उसके फूल से नारंगी रंग नीकलता है। कुदरतमे इस फूल को वसंत ऋतुमे ही खिलते देखे जाते है। ये फूलोकों पानी मे उबालकर बच्चों को स्नान करा सकते है।
- शंखजीरे के चूर्ण को नींब के स्वरस में मिलाकर उस का पाउडर बच्चों के शरीर पर लगाने से लाभ होता है ।
- गीलोय का स्वरस नियमीत पीने से भी खुजली मे लाभ होता है। बच्चों कों गीलोय के स्वरस के साथ थोड़ा शहद मिलाकर देना चाहीये।
- नहाने के पानीमे बेकींग सोडा मीलाकर उससे स्नान करने से भी खुजली मे लाभ मीलता है ।
- स्नान कराने के बाद बच्चों के शरीर पर ताजा ग्वारपाठा का रस निकालकर लगाने से भी लाभ होता है ।
बुखार :- For fever
- बच्चो को बुखार आने की परिस्थीती को मामूली न समझे। इस ऋतुमे बुखार ज़्यादातर कफ के कारण होता है। बच्चोकी कोमल प्रकृति कफ की होती है ओर यह ऋतु भी कफ प्रकोप का होनेके कारण ऐसा होता है । फिर भी बुखार आने पर बच्चों का ध्यान अवश्य रखे।
- ईस ऋतु मे मच्छरकी भी बढ़ोतरी होने लगती है तो मच्छर के काटनेसे भी बुख़ार आ जाता है इसलिए बचाव जरूरी समजे ।
- बच्चोको सोते समय मच्छर न काटे एसी जगह सुलाये ।
- सोने की जगह साफ, स्वच्छ हो उसका ध्यान रखे।
- कमरे मे नियमीत धूप अवश्य करे ।
- बुखार के साथ बच्चे के शरीर पर दाने दिखाई दे तो डॉक्टर की सलाह लें छोटी माता या measales का अनुमान लगाकर डाकटरी सलाह अवश्य ले ।
- अगर ठंड के साथ बच्चे को बुखार आता है तो मलेरिया की जांच अवश्य कराये।
- पेट दर्द के साथ बुखार हो तो डाकटरी सलाह ले ।
सावधानी :-
- इस ऋतुमे रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने हेतु बच्चों को च्यवनप्राश का नियमीत सेवन कराए ।
- बच्चे मांस, मच्छी, अंडा, , मीठाई, शक्कर के बने पदार्थ, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक , चॉकलेट आदि चीजो का सेवन न करे उस बात का ध्यान रखे ।
- बच्चो को शाम का भोजन 7 से 8 के बजे क बीच मे अवश्य करा ले।
- बच्चों को दिवस के समय सोने न दें। उसे किसी न किसी कम में अथवा खेल में व्यस्त रखें।
इस तरह से सभी ऋतुएँ अपने आप में निराली होती है। परन्तु वसंत ऋतु को हमारी संस्कृति में ऋतुओं का राजा कहा है क्योंकि इस ऋतु में वातावरण ख़ुशनुमा होता है। पर साथ में वसंत ऋतु वातावरण के अचानक बदल जाने से रोगजन्य भी बन जाती है। अत: हमें कुछ सावधानी रखकर वसंत ऋतु में बच्चे और बड़ों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना ज़रूरी है। हमें प्रकृति के परिवर्तन को स्वीकार कर अपने और बच्चों के खान -पान का ध्यान रखना है तभी हम निरोगी रह सकते हैं।
Dr. Hardik Bhatt
आप को अपने बच्चें के स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या हो तो आप हमे निचे दिए गए E – Mail पर संपर्क कर सकते है | हमारे अनुभवी Doctor आप के बच्चे की समस्या का योग्य निदान करेंगे |
E – Mail : hello@crazykids.in
Premila
Very good information.
Premila
बढीया बात बताई
Heer Trivedi
Nice information
Ap blog ke jariye acchi information dete ho