
बच्चों के पालन पोषण के सही तरीक़े – 9 Tips
माता पिता दुनिया के सबसे अनमोल रिश्ते माने जाते है। माता पिता बनना हमारे जीवन का सबसे सुखद अनुभव देनेवाला रिश्ता होता है। परन्तु यह रिश्ता निभाना आसान नहीं होता है। मातापिता की जिम्मेदारी निभाना एक तपस्या की तरह होता है जिसकी साधना से एक बच्चा नेक इंसान बनता है। आपके बच्चे/बच्चों की उम्र चाहे कितनी भी हो, आपका दायित्व कभी खत्म नहीं होता। अच्छे माता पिता बनने के लिए आपको इस कला में माहिर होना पड़ेगा कि कैसे अपने बच्चों को सही व गलत के बीच के अंतर की शिक्षा देते हुए आप उन्हें विशिष्ट एवं प्यारे महसूस करवा सकते हैं। अंत में तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह ही है कि हम आने बच्चों को ऐसी पोषक व सकारात्मक वातावरण प्रदान करें, जिससे उन्हें यह लगे कि वे एक स्वतंत्र, कामयाब, आत्मविश्वासी एवं वत्सल इंसान में विकसीत हो सकते हैं। यदि आप यह जानना चाहते हैं की अच्छे माँ बाप बन्ने के लिए क्या किया जाए, तो नीचे दिए गए निर्देशों पर नज़र दौरायें।Top 9 Tips Of Good Parenting.
1.बच्चों को स्नेह व दुलार देना: Affection and caress to children
कभी कभी प्रेम व स्नेह ही सबसे अच्छी ऐसी चीज़ होती है जो आप अपने बच्चों को दे सकते हैं । प्यार भरा स्पर्श और परवाह से भरा आलिंगन ही काफी है आपके बच्चों को यह बताने के लिए की वास्तव में वे आपके लिए कितने मूल्यवान हैं ।
- थोड़ा सा प्रोत्साहन, प्रशंसा, अनुमोदन यहाँ तक की एक हल्की सी मुस्कान ही आपके बच्चों की खुशहाली व आत्मविश्वास की बढ़ोतरी के लिए बहुत सहायकारी साबित हो सकती है ।
- चाहे आप उनसे कितना ही नाराज़ क्यों ना हों, उन्हें हर दिन यह बताएं कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं ।
2.बच्चों का मनोबल बढ़ाना जरुरी :- Increase the morale of children
प्रशंसा बच्चों को अच्छी लगती है और माता पिता का एक आदर्श गुण भी माना जाता है। आप सदैव यह चाहेंगे कि बच्चे अपनी उपलब्धियों पर गर्व और अपने बारे में अच्छा महसूस करें । यदि आप अपने बच्चों में यह विश्वास नहीं जगाते कि वे अपने दम पर दुनिया में निकल कर कुछ हासिल कर सकते हैं, तो वे कभी स्वयं को आत्मविश्वासी व साहसी बन पाने के लिए सशक्त महसूस नहीं करेंगे । जब भी वे कुछ अच्छा करें, तो उन्हें यह दिखाइए की आपने उस बात पर गौर किया है, और उनके इस काम पर आप गर्व करते हैं ।
बच्चों की गलतियों पर ध्यान देने से ज्यादा उनकी उपलब्धियों, टेलेंट और उनके अच्छे व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करें। इससे उन्हें ये जाहिर होगा की आप उनमे उनकी अच्छी बातें भी देखते हैं। इस चीज़ की आदत डालें कि आप अपने बच्चों को जितनी नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं, उससे कम से कम तीन गुना ज्यादा प्रशंसा करें । तथापि बच्चों को यह बताना अनिवार्य है कि वे कहाँ गलत हैं, उनमें स्वयं के लिए सकारात्मक विचार जगाना भी महत्वपूर्ण है ।
3. बच्चों की तुलना दूसरों से करने से बचें, खासकर भाई बहनों को आपस में:- Avoid comparing children to others
हर बालक अलग एवं अनूठा होता है । बालक को उनकी पसंद अनुसार अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रोत्साहित करें । क्योंकि ऐसा कर पाने में विफलता, बच्चों में मन में अपने लिए हीन भावना जगा सकती है कि चाहे वे कुछ भी करें पर आपकी नज़रों में कभी अच्छे नहीं बन पायेंगे । यदि आप उनके व्यवहार में सुधार लाना चाहते हैं, तो बैठ कर, उनके लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उनके शर्तों के अनुसार, समझायें, बजाय इसके की उन्हें अपने बहन या पड़ोसी के तरह काम करने का उदाहरण दें । इससे उनमें हीन के बजाय स्व की भावना विकसित होगी ।
- बच्चों की तुलना आपस में करने से उनमें आपस में अपने भाई बहनों के प्रति प्रतिद्वंदिता विकसित हो सकती है । आप अपने बच्चों के बीच प्रेम सम्बन्ध का पोषण करना चाहेंगे ना कि प्रतियोगिता का ।
- पक्षपात से बचें । सर्वेक्षण से पता चला है कि, अधिकतर माता पिता का कोई पसंदीदा होता है, परन्तु अधिकांश बच्चों के हिसाब से वे अपने माता पिता के प्रीय हैं । यदि बच्चे आपस में झगड़ रहे हैं, तो किसी एक का पक्ष ना लें, बलकि निष्पक्ष और तठस्थ निर्णय लें ।
4. अपने बच्चों की बातें सुने: Listen to your children
बातचीत का दोनों तरफ से चलना बहुत आवश्यक है । आप सिर्फ नियमों के लागू के लिए नहीं, अपितु अपने बच्चों की समस्याओं को सुनने के लिए भी मौजूद होना चाहिए । आपको बच्चों में दिलचस्पी अभिव्यक्त करने और उनके जीवन में शामिल हो पाने के लिए भी सक्षम होना चाहिए । आपको ऐसा माहौल बनाये रखना चाहिए की बच्चे अपनी समस्याओं के साथ निसंकोच आपके पास आ सकें, फिर चाहे परेशानी कितनी भी छोटी या बड़ी हो ।
- अपने बच्चों की बातें पूरे मन से सुनने की आदत डालें। जब वो आपसे बात कर रहे हों तो उनकी तरफ देखें और उन्हें ये दिखायें की आप उनकी बात पूरे ध्यान से सुन रहे हैं. ऐसा आप बीच बीच में अपना सर हिलाकर, हूँ बोलकर, अच्छा में समझी/समझा बोलकर या फिर क्या हुआ बोलकर कर सकते हैं। जब आपके बच्चे की बात ख़तम हो जाए तो उनकी ही बातों को बीच में से उठाकर फिर अपना रिस्पांस दें; जैसे, अच्छा तो आपने अपनी फ्रेंड के साथ चॉकलेट शेयर नहीं की? लेकिन ये तो अच्छी बात नहीं है। आपको अपने फ्रेंड के साथ शेयर करना चाहिए थी।
- अपने बच्चों की इंटेलिजेंस पर शक न करैं। जब भी कुछ गलत या सही होता है तो उसे देखने का और समझने का उनका अपना नजरिया होता है। इसलिए उनका दृष्टिकोण समझने की और उनकी बात को सुनकर उनकी सोच को समझने की कोशिश करें। यदि आपके बच्चे कहते हैं कि उन्हे आपसे कुछ कहना है, तो इस बात को गंभीरता से लें, और सब काम छोड़ कर उनकी बात सुनें ।
5. अपने बच्चों के लिए समय निकालें :- Take time out for your children
हालाँकि,आप उन्हें यह महसूस कराना चाहेंगे कि आपके साथ बिताया गया समय बेहद ख़ास एवं पावन है, ना कि ऐसा जैसे उन्हें आपके साथ वक़्त बिताने के लिए मजबूर किया जा रहा हो ।
- जब आप अपने बच्चे के साथ समय बिता रहे हों तो थोड़ी देर के लिए सभी टेक्नोलॉजी से दूर हो जायें। अपने फ़ोन को दूर रख दें और पूरा समय बच्चे को दें । यदि आपके एक से अधिक बालक हैं, तो अपने समय को उन दोनों के बीच सामान रूप से विभाजित करने की कोशिश करें ।
- अपने बच्चों को सुनें और उनका सम्मान करें । साथ ही आपके बच्चे अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं उसका भी आदर करें । परन्तु सदैव यह याद रखें कि आप उनके माता पिता हैं । बच्चों को सीमाओं में बंधने की भी जरुरत है । जिन बच्चों को अपने मन मुताबिक काम करने की अनुमति दी जाती है और जिनकी हर चाहत की पूर्ति होती है, वे अपने व्यसक जीवन में समाज के बनाये नियमों का पालन करने में संघर्ष करते हैं । यदि आप अपने बच्चे कि हर मांग को पूरा नहीं करते, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप बुरे माता पिता हैं । आप ना बिलकुल कह सकते हैं, पर ना कहने का एक उचित कारण व अन्य विकल्प भी साथ में दें ।
- बच्चों की रुचि अनुसार प्ले ग्राउंड, म्युसियम या लाइब्रेरी जाने के लिए दिन निश्चित करें ।
- स्कूल फंक्शन्स में शामिल हों । उनके साथ होम वर्क करें । बच्चे क्लास में कैसा परफॉर्म कर रहे हैं यह जानने के लिए स्कूल में रखी जाने वाली पेरेंट्स टीचर मीटिंग्स (PTM) में जाएँ ।
6. बच्चों के ख़ास लम्हों में उपस्थित रहें :Be present in special moments of children
आप अपने काम में व्यस्त हो सकते हैं, परन्तु अपने बच्चों के जीवन के ख़ास लम्हों के लिए हमेशा वक़्त निकालें, चाहे वो एक कविता सुनाना हो या फिर स्नातक स्तर की पढाई । याद रखें की वक़्त तेज़ी से बढ़ता है, और इससे पहले की आपको पता चले बच्चे बड़े होकर स्वतंत्र हो जायेंगे । आपके बॉस को याद रहे ना रहे की आप एक मीटिंग में उपस्थित नहीं थे पर आपके बच्चों को यह निश्चित रूप से याद रहेगा कि आप उस प्ले में शामिल नहीं थे जिनमें उनहोंने भाग लिया था । हालाँकि आपको अपने बच्चों के लिए हर चीज़ त्यागने की आवश्यकता नहीं अपितु यह प्रयास सदैव करना चाहिए की जरूरी मौकों पर आप अवश्य ही शामिल हो पाएं ।
7. उचित नियमों को लागू करें: Apply the appropriate rules
ऐसे नियम बनाएं जो कि हर व्यक्ति को खुशहाली व उत्पादक जीवन के ओर अग्रसर करे – ना की आपके आदर्श व्यक्ति के नियमों का प्रतिरूप । महत्वपूर्ण यह है की ऐसे नियमों व दिशा का निर्देशन हो जो बगैर सख्त लगे आपके बच्चे को विकसित होने में मदद करे, ना कि उनको ऐसा लगे कि वे एक कदम भी बिना कुछ गलत किये नहीं ले सकते ।
- अपने नियमों को स्पष्ट रूप से सामने रखें । बच्चों को अपने कार्यों के परिणाम का बोध होना चाहिए । यदि आप उन्हें सजा देते हैं तो इस बात का खयाल रखें की बच्चों को सजा का कारण और गलती दोनों की समझ हो; अगर आप ही सपष्ट रूप से यह नहीं समझ पाते हैं की उनकी गलती कहाँ है, तो दंड का वो प्रभाव नहीं पड़ेगा जो आप चाहते हैं ।
8. अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा दें :Educate your children to be self-reliant
अपने बच्चों को बताएं की अलग होना कोई बुरी बात नहीं और यह कि हमेशा झुंड के अनुसार चलना भी उचित नहीं है । उन्हें सही गलत के बीच का फर्क बचपन से ही बताएं, ताकि वे खुद के फैसले (हमेशा नहीं भी तो अकसर) लेने में सक्षम हो पायेंगे, बजाय इसके कि हर बात दूसरों से सुनकर उसका पालन करें । हमेशा ध्यान रखें कि आपका बच्चा आपका विस्तारण नहीं है । वे एक अलग व्यक्ति हैं जो आपके देखभाल में हैं, ना कि एक मौका खुद के जीवन को उनके माध्यम से जीने का।
- जब आपके बच्चे खुद के निर्णय लेने लायक बड़े हो जाएँ, तो उन्हें स्वयं ये चयन करने के लिए प्रोत्साहित करें कि वे कौनसी पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेना चाहते हैं या वे किन दोस्तों के साथ खेलना पसंद करते हैं । जब तक आपको ऐसा ना लगे कि वो गतिविधि बहुत खतरनाक या उनके द्वारा चयन किया गया मित्र कुसंगत है, तब तक अपने बच्चों को अपने चुनाव का परिणाम खुद समझने दीजिये ।
- बच्चा आपसे विपरीत स्वभाव का हो सकता है, उदाहरण स्वरुप अंतर्मुखी होना जबकि आप बहुर्मुखी हैं, इस अवस्था में वे आपके बनाये गए शैली या समझ के लायक नहीं बन पायेंगे और खुद के अनुसार खुद के लिए निर्णय लेना चाहेंगे ।
- बच्चों को यह जानना आवश्यक है कि उनके अपने कार्यों के परिणाम (अच्छे या बुरे) उन्हें स्वयं ही भुगतने पड़ते हैं । ऐसा करने से वे अच्छे निर्णय निर्माता व समस्या निवारक बन पायेंगे जो उन्हें स्वतंत्र और व्यस्क जीवन के लिए तैयार करेगा ।
9. उपयोगी सूचन : Some Useful Tips
- अपनी चाहतों से प्यार करें परन्तु अपने बच्चों की जरूरतों को सर्वोपरी रखें । अपनी महत्वाकांक्षयों के लिए अपने बच्चों को नज़रंदाज़ ना करें । अगर आप डेटिंग कर रहे हैं तो अपने बच्चों को प्राथमिकता दें और उन्हें किसी भी प्रकार के खतरे में ना डालें
- आपका बच्चा क्या कहना चाहता है उसे सुनें ।
- अपने जीवन को उनके माध्यम से ना जियें अपितु उन्हें उनके जीवन के निर्णय खुद लेकर अपने अनुसार जीने दीजिये ।
- बार बार अपने बचपन पर भी नज़र दौड़ाइए । आपके माता पिता ने जो गलती की है उन्हें दोहराइए मत । इससे वही गलती पीढ़ियों तक चलने से बच जायेगी । हर पीढ़ी के माता पिता/बच्चों को नयी सफलता व नयी गलतियों से सीखना चाहिए ।
- उनके दोस्तों के चुनाव को छोटा करने की कोशिश ना करें । अपितु, खुद के भी मित्र बना कर रखें।
- अगर आप किसी आदत को छोड़ना चाहते हैं तो आप उन संस्थानों से मदद ले सकते हैं जो इन कार्यों में सहायता प्रदान करती है । उचित मदद लें और ऐसे व्यक्तियों से बात करें जो आपकी हिम्मत बंधाये रख सके । याद रखें कि आप ना केवाल खुद की अपितु अपने बच्चों की भी मादा कर रहे हैं।
- अपने पुराने दुर्व्यवहार को अपने बच्चों से साझा ना करें वरना वे खुद की गलतियों की तुलना उसी गलती से करने लगेंगे यह कह कर कि, “आप ने भी तो यही किया था।“
- सकारात्मक वाक्यों से उनकी प्रशंसा करें जब भी वे कुछ अच्छा करें तो, बजाय उन्हें हमेशा दंड देने के । और कभी भी उन्हें शारीरिक रूप से चोट ना पहूँचायें।
- बच्चों के मित्रों को आंकें ना । इससे आपके बच्चों को यह लगेगा कि आप उनके दोस्तों को नापसंद करते हैं । हमेशा बच्चे के दोस्तों से खुल कर पेश आयें।
- अपने बच्चों के सामजिक व्यवहार को भी तराशने की कोशिश करें।
- माता पिता की जिम्मेवारी से घबराएं ना । अपना सर्वोत्तम दें, उनके दोस्त बनकर रहे पर यह कभी ना भूलें कि आप उनके माता पिता हैं, सहयोगी नहीं।
- बच्चों के बड़े हो जाने से माता पिता का कर्तव्य समाप्त नहीं हो जाता । यह भूमिका आपको जीवन भर संभालनी पड़ती है । पर याद रखें की बड़े होकर बच्चे जो भी निर्णय लेते हैं वो उनके खुद के होते हैं उनके परिणामों के साथ।
- अपने बच्चों को अति लिप्त ना बनाएं । इससे वे हठी और गैर जिम्मेदार बन सकते हैं।
Dr. Twinkal Patel
CEO Midastouch Cosmetics Hospital Ahmedabad
आप को अपने बच्चें के स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या हो तो आप हमे निचे दिए गए E – Mail पर संपर्क कर सकते है | हमारे अनुभवी Doctor आप के बच्चे की समस्या का योग्य निदान करेंगे |
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Heer Trivedi
Nice information 👌👌👌